Tuesday, May 13, 2008

अर्ज़ है....

क्यों झुकी हैं ये पलकें तेरी,
क्यों नहीं कुछ कहते ये लब तेरे,
क्यों करती है हम पर ज़ुल्म इतना,
क्यों नहीं होने देती हमें,
तेरी इस जां पे फना।

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